एक नयी विधा का चिट्ठा- भड़ास

चिट्ठा URL- http://www.bhadas.blogspot.com/
मूल चिट्ठाकार- यशवंत सिंह
मूल चिट्ठाकार का ई मेल- yashwantdelhi@gmail.com
प्रकार- कम्युनिटी ब्लॉग
प्रथम प्रकाशन- 28-1-2007

"अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा..."
इस पंचलाइन के साथ कुछ चिट्ठाकार हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में एक नई विधा का प्रतिपादन कर रहे हैं। यदि इस चिट्ठे के शीर्षक को समझा जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि इस पर प्रकाशित होने वाली सामग्री का स्वरुप क्या होगा। कई बार जब गोष्ठियों आदि में इस चिट्ठे का ज़िक्र छिड़ा तो बहुत से लोगों ने कहा कि दरअसल भड़ास एक नकारात्मक भाव है। लेकिन जब मैंने इस चिट्ठे को देखा तो यह महसूस किया की इस पर प्रकाशित होने वाली सामग्री का अंतत: जो प्रभाव दीख पड़ता है वह बेहद सकारात्मक है।
इस चिट्ठे पर मूलतः व्यंग्यात्मक शैली में सामाजिक विद्रूपताओं पर प्रकाश डाला जा रहा है। सत्य अंततः सत्य होता है। और उसकी अभिव्यक्ति को नकारात्मक मानना कितना सकारात्मक है; यह कहने की आवश्यकता नहीं है। यह चिट्ठा न केवल लोकप्रियता के मापदंड पर खरा उतरता है, बल्कि एक नई विधा के प्रतिपादन के लिए भी साधुवाद का पात्र है। इस चिट्ठे पर लिखने के लिए हर उस व्यक्ति का स्वागत किया जाता है जिसके मन में कोई भड़ास है और जो अपनी भड़ास को अभिव्यक्त करना चाहता है।
भड़ास पर 28 जनवरी 2007 में यशवंत सिंह ने जो पहली पोस्ट लिखी थी उसमें इस चिट्ठे के जन्म के पीछे के स्वप्न और संकल्प को साफ़-साफ़ देखा जा सकता है। भडास के निर्माता यशवंत जी के शब्दों में-
"भड़ास उन आम हिंदी मीडियाकर्मियों की आवाज है जो ऑनलाइन माध्यम से जुड़े हैं या ऑफलाइन , मसलन अखबार, टीवी और मैग्जीन आदि से संबद्ध हैं। ये उनकी भी आवाज है जो दिल में एक हिंदी मीडियाकर्मी बनने की हसरत रखे हैं, लेकिन उन्हें अभी ठोकरें खानी पड़ रही हैं। ये उनकी भी आवाज है जो हिंदी वाले हैं, दिल वाले हैं लेकिन शहर के खेल-तमाशे में आकर खुद को तनहा पाते हैं। ऐसे सभी लोगों के दिल की धड़कन है भड़ास।"
भड़ास के लेखकों को यशवंत जी ने भड़ासी कहकर संबोधित किया है। आज इस कम्युनिटी ब्लॉग पर 400 से अधिक 'भड़ासी' निरंतर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। आप भी अपनी अनकही बातें बेझिझक इस चिट्ठे पर लिख सकते हैं। और "उसके लिए आप स्वयं ज़िम्मेदार होंगे।"
अभिव्यक्ति के इस सक्षम क्षेत्र को और अधिक सक्षम बनाने में इस चिट्ठे का महती योगदान रहा है। इसके अतिरिक्त एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य यह है की इस चिट्ठे पर 107 अनोखे चिट्ठों की सूची भी मौजूद है।
हिन्दी ब्लॉग जगत् का इतिहास जब कभी लिखा जाएगा तो इस चिट्ठे का ज़िक्र करना इतिहासकार की विवशता होगी।